रातापानी अभयारण्य में स्थित आठ में से दो गांवों की होगी शिफ्टिंग
केरवासे लेकर रातापानी अभयारण्य में बढ़ते बाघों की संख्या को देखते हुए वन्य प्राणी मुख्यालय ने रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद शुरू कर दी है। मुख्यालय ने अभयारण्य के भीतर स्थित आठ गांवों को शिफ्ट करने की योजना बनाई है। इसके तहत दो गांवों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है। इसके अलावा बाघों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों की भी भागीदारी बढ़ाई जा रही है।
रातापानी अभयारण्य में वर्तमान में तकरीबन 24 बाघों का मूवमेंट हैं। बाघों को टेरेटरीज बनाने के लिए बेहतर जगह मिल सके, इसके लिए गांवों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गांवों को शिफ्ट किए जाने वाले स्थान को सर्वसुविधायुक्त बनाया जाएगा। यहां ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिल सके, उसकी व्यवस्था भी होगी। पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने में दो गांवों के लोगों ने रुचि भी दिखाई है।
ऐसाहै रातापानी
रातापानी अभयारण्य 985 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहां बाघों की संख्या 24 हो गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक बाघ की टेरेटरी 30 वर्ग किलोमीटर और होम रेंज 50 से 100 वर्ग किलोमीटर की होती है। एक बाघ हफ्ते में औसत दो जानवरों का शिकार करता है। यहां पर शाकाहारी सहित अन्य वन्य प्राणियों की संख्या तकरीबन 2500 है।
बाघों के लिए अपने घर छोड़ने को तैयार हुए दो गांव के लोग
वन विभाग के अफसरों के मुताबिक पायलट प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने की कवायद में रातापानी अभयारण्य में आने वाले दांत खोह और केरचौर गांव के ग्रामीण आगे आए हैं। वे अपने गांवों को खाली करने के लिए तैयार हैं। अब गांव के निवासियों की सुरक्षा, रोजगार और उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वन विभाग तैयारियों में जुट गया है। वाइल्ड लाइफ एपीसीसीएफ जितेंद्र अग्रवाल ने बताया कि रातापानी सेंक्चुरी में 32 गांव हैं। इसमें आठ गांव रातापानी सेंक्चुरी के अंदर है, बाकी 24 गांव सेंक्चुरी के बाउंड्री पर स्थित हैं। श्री अग्रवाल ने बताया कि आठ में से दो गांवों को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है।
केरवा-कठौतिया में भी बढ़ेगी बाघों की संख्या
राजधानीसे लगे केरवा और कठौतिया के जंगल में भी बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। तीन साल में इनकी संख्या 3 से बढ़कर 7 हो गई है। दो महीने के भीतर बाघिन एक बार फिर शावकों को जन्म देने वाली है। इन पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने हाईरिजोल्यूशन कैमरे लगा दिए हैं। शुक्रवार को पहली बार कैमरों में बाघ शावक कैप्चर हुए। डीएफओ एल. कृष्णमूर्ति ने बताया कि केरवा, मीडियाकोट, मालाडोंगरी, झिरी और कालीखोह में पांच टॉवर बनाए गए हैं। यह 100 वर्गकिलोमीटर पर नजर रख सकते हैं।
बाघिन टी-21 गर्भवती
वनविभाग के मुताबिक दिसंबर 2013 में टी-2 बाघिन ने तीन बच्चों को जन्म दिया था। अब यह शावक व्यस्क हो गए हैं। वहीं, टी-21 अभी गर्भवती है। वह अगले दो महीने में शावकों को जन्म देगी।
पिकनिकपर जाएं तो रहें सतर्क
यदिआप केरवा, समरधा, कठौतिया में पिकनिक के लिए जा रहे हैं तो यहां बाघ विचरण क्षेत्र में दाखिल हों। यदि बाघ की आहट मिले तो दौड़ें नहीं। ऐसे में बाघ कोई जानवर समझकर हमला कर सकता है।
वर्ष 2006 में मात्र चार बाघ
वर्ष 2010 की गणना में रातापानी सेंक्चुरी में आठ बाघों की उपस्थिति दर्ज हुई थी। जबकि वर्ष 2006 तक यहां मात्र चार बाघ थे। बाघों की संख्या ब़ने की पुष्टि तत्कालीन पीसीसीएफ एचएस पाबला ने की थी। उनका कहना था कि टाइगर रिजर्व में भले बाघों की संख्या कम हुई हो, पर रातापानी में संख्या बढ़ रही है।
